नमस्कार दोस्तों, आज की पोस्ट में हमने kavi kabir das ki jivani (संत कबीर दास) के ऊपर चर्चा की है, कबीर दास जी हमारे भारत देश के सभी महान कवियों में से एक थे, इन्होंने अपने पूरे जीवन काल में बहुत ही अच्छी कृतियां लिखी हैं, जिन्हें लोग आज भी पढ़ना काफी ज्यादा पसंद करते हैं,
Kabir das ji के लिखे दोहे हमें हमारी स्कूल बुक्स में भी पढ़ने को मिल जाते हैं, जो कि काफी ज्ञान प्रदान करने वाले होते हैं,

दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको kabir das ki jivani के बारे में बताया है, कबीर दास जी से जुड़ी हुई सभी बातें यहां पर हमने आपके साथ साझा की है, अगर आप कबीर दास जी की जीवनी के बारे में पढ़ना चाहते हैं, तो इस पोस्ट को लास्ट तक जरूर पढ़ें।
Contents
- 1 Sant kabir das का जन्म (kabir das ka janm kab hua tha)
- 2 कबीर दास का जीवन परिचय | Kabir das ki jivani
- 3 कबीर दास जी की शिक्षा
- 4 कबीर दास जी का धर्म क्या है ?
- 5 कबीर दास की लिखित सभी रचनाएं
- 6 कबीर दास जी की कृतियां (kabir das ki jivani)
- 7 कबीर दास जी की मृत्यु (about kabir das in hindi)
- 8 कबीर दास जी के दोहे पर बने भजन कैसे सुने (kabir das poems in hindi)
Sant kabir das का जन्म (kabir das ka janm kab hua tha)
दोस्तों कबीर दास जी का जन्म भारत के मगहर, काशी मैं 1398 ईसवी में हुआ था, कबीर दास जी के जन्म के बारे में हमें विद्वानों से बहुत कुछ जानने को भी मिलता है, कहा जाता है कि कबीर दास जी का जन्म काशी में रहने वाली एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से हुआ था,
और उस ब्राह्मणी ने अपने पुत्र को एक लहर तारा तालाब के पास फेंक दिया था, जिसे एक नीरू नामक व्यक्ति ने देखा और उसे उठाकर वह अपने साथ ले आया और उसी ने उसका पालन पोषण भी किया,
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कबीर दास का जीवन परिचय | Kabir das ki jivani
नाम | कबीर दास |
जन्म तारीख | 1398 ईसवी |
जन्म का स्थान | मगहर, काशी |
पिता का नाम | नीरू |
माता का नाम | नीमा |
धर्मपत्नी | लोई |
पुत्र | कमाल |
पुत्री | कमाली |
मृत्यु कब हुई | 1518 ई. |
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कबीर दास जी की शिक्षा
कबीर दास बहुत ही गरीब परिवार से थे, इनके माता-पिता के पास कबीर को मदरसे में पढ़ाने के लिए पैसा नहीं था, वह अपना गुजारा भी बहुत ही मुश्किल से कर पाते थे, जिसके चलते कबीर दास जी शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए, पर दोस्तों फिर भी kabir das ke dohe और उनकी कृतियां आज भी लोग काफी ज्यादा पसंद करते हैं,
आपकी जानकारी के लिए मैं यहां आपको बता दूं, kabir das ke dohe और उनकी कृतियां खुद कबीर दास जी ने नहीं लिखी है, क्योंकि उन्होंने कभी शिक्षा प्राप्त नहीं की थी, इसलिए उन्हें पढ़ना लिखना नहीं आता था, जिसके चलते उन्होंने अपने दोहे और अपनी कृतियों को अपने शिष्यों के द्वारा लिखवाया था,
कबीर दास जी ने अपनी सभी कृतियां और दोहे अपने शिष्य कामात्य और लोई से लिखवाई थी, अगर आपने कबीर दास जी के दोहों को पड़ा होगा, तो आपने उसमें यह जरूर देखा होगा कि कबीरदास जी के बहुत से दोहों में लोई का नाम अक्सर आता है,
लोई कबीर दास जी की पत्नी के साथ-साथ वह उनकी शिष्य भी थी, जो उनके कहे दोहों को लिखा करती थी,
दोस्तों बहुत से विद्वानों का यह भी कहना है, कि वह जन्म से मुसलमान थे, पर युवावस्था के बाद कबीर दास जी ने (kabir ke guru kaun the) स्वामी रामानंद जी को अपना गुरु मानकर उनसे हिंदू धर्म के बारे में शिक्षा ली थी।
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कबीर दास जी का धर्म क्या है ?
दोस्तों कबीर दास जी हर धर्म को मानते थे, अपने पूरे जीवन काल में समाज में चल रहे धर्म से जुड़ी कुप्रथाओं का हमेशा उन्होंने विरोध किया था,
कबीर दास की लिखित सभी रचनाएं
कबीर दास जी ने अपने जीवन काल में बहुत सी रचनाएं लिखी हैं, इनकी लिखी रचनाओं को हमने यहां पर आपके साथ साझा किया है, जिनके बारे में आप यहां से जानकारी ले सकते हैं,
- अठपहरा
- अनुराग सागर
- अमर मूल
- अर्जनाम कबीर का
- अलिफ़ नामा
- अगाध मंगल
- अक्षर खंड की रमैनी
- अक्षर भेद की रमैनी
- उग्र गीता
- उग्र ज्ञान मूल सिद्धांत- दश भाषा
- आरती कबीर कृत
- कबीर और धर्मंदास की गोष्ठी
- कबीर अष्टक
- कर्म कांड की रमैनी
- चौतीसा कबीर का
- छप्पय कबीर का
- तीसा जंत्र
- नाम महातम की साखी
- निर्भय ज्ञान
- पिय पहचानवे के अंग
- पुकार कबीर कृत
- बलख की फैज़
- बीजक
- व्रन्हा निरूपण
- भक्ति के अंग
- भाषो षड चौंतीस
- मुहम्मद बोध
- मगल बोध
- वारामासी
- रमैनी
- राम रक्षा
- राम सार
- रेखता
- विवेक सागर
- शब्द अलह टुक
- शब्द राग काफी और राग फगुआ
- शब्द राग गौरी और राग भैरव
- शब्द वंशावली
- विचार माला
- शब्दावली
- संत कबीर की बंदी छोर
- सननामा
- साधो को अंग
- सुरति सम्वाद
- कबीर गोरख की गोष्ठी
- कबीर की साखी
- कबीर की वाणी
- काया पंजी
- चौका पर की रमैनी
- जन्म बोध
- कबीर परिचय की साखी
- स्वास गुज्झार
- हिंडोरा वा रेखता
- हस मुक्तावालो
- ज्ञान गुदड़ी
- सत्संग कौ अग
- ज्ञान चौतीसी
- ज्ञान सरोदय
- ज्ञान सागर
- ज्ञान सम्बोध
- ज्ञान स्तोश्र
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कबीर दास जी की कृतियां (kabir das ki jivani)
कबीर दास जी ने अपने जीवन काल में बहुत सी कृतियां लिखी है, कबीर दास जी की लिखी सभी कृतियों की जानकारी आप यहां से प्राप्त कर सकते हैं,
- साखी
- सबद
- रमैनी
- कथनी-करणी का अंग
- करम गति टारै नाहिं टरी
- चांणक का अंग
- साधो, देखो जग बौराना
- रहना नहिं देस बिराना है
- नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार
- मोको कहां
- दिवाने मन, भजन बिना दुख पैहौ
- रहली मैं कुबुद्ध संग रहली
- सहज मिले अविनासी
- समरथाई का अंग
- कबीर की साखियाँ
- बहुरि नहिं आवना या देस
- पाँच ही तत्त के लागल हटिया
- बड़ी रे विपतिया रे हंसा, नहिरा गँवाइल रे
- अंखियां तो झाईं परी
- जीवन-मृतक का अंग
- नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार
- धोबिया हो बैराग
- तोर हीरा हिराइल बा किचड़े में
- कबीर के पद
- भेष का अंग
- घर पिछुआरी लोहरवा भैया हो मितवा
- सुगवा पिंजरवा छोरि भागा
- राम बिनु तन को ताप न जाई
- हाँ रे! नसरल हटिया उसरी गेलै रे दइवा
- हंसा चलल ससुररिया रे, नैहरवा डोलम डोल
- अबिनासी दुलहा कब मिलिहौ, भक्तन के रछपाल
- सोना ऐसन देहिया हो संतो भइया
- बीत गये दिन भजन बिना रे
- चेत करु जोगी, बिलैया मारै मटकी
- अवधूता युगन युगन हम योगी
- ननदी गे तैं विषम सोहागिनि
- सम्रथाई का अंग / कबीर
- मधि का अंग
- मन का अंग
- जर्णा का अंग
- निरंजन धन तुम्हरो दरबार
- माया का अंग
- कामी का अंग
- रस का अंग
- काहे री नलिनी तू कुमिलानी
- गुरुदेव का अंग
- नीति के दोहे
- सुमिरण का अंग / कबीर
- केहि समुझावौ सब जग अन्धा
- मन ना रँगाए, रँगाए जोगी कपड़ा
- भजो रे भैया राम गोविंद हरी
- का लै जैबौ, ससुर घर ऐबौ / कबीर
- सुपने में सांइ मिले
- बेसास का अंग
- मन मस्त हुआ तब क्यों बोलै
- सतगुर के सँग क्यों न गई री
- करम गति टारै नाहिं टरी
- उपदेश का अंग
- भ्रम-बिधोंसवा का अंग
- पतिव्रता का अंग
- मोको कहां ढूँढे रे बन्दे
- चितावणी का अंग
- सुमिरण का अंग
- मन मस्त हुआ तब क्यों बोलै
- साध-असाध का अंग
- दिवाने मन, भजन बिना दुख पैहौ
- माया महा ठगनी हम जानी
- कौन ठगवा नगरिया लूटल हो
- हमन है इश्क मस्ताना
- सांच का अंग
- कबीर की साखियाँ (kabir ki sakhiyan)
- हमन है इश्क मस्ताना / कबीर
- रहना नहिं देस बिराना है / कबीर
- मेरी चुनरी में परिगयो दाग पिया
- मुनियाँ पिंजड़ेवाली ना, तेरो सतगुरु है बेपारी
- अँधियरवा में ठाढ़ गोरी का करलू
- अंखियां तो छाई परी
- ऋतु फागुन नियरानी हो
- साधु बाबा हो बिषय बिलरवा, दहिया खैलकै मोर
- करम गति टारै नाहिं टरी
- संगति का अंग
- झीनी झीनी बीनी चदरिया
- रहना नहिं देस बिराना है
- साधो ये मुरदों का गांव
- विरह का अंग
- रे दिल गाफिल गफलत मत कर
- सूरातन का अंग
- मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में
- राम बिनु तन को ताप न जाई
- घूँघट के पट
- तेरा मेरा मनुवां
- भ्रम-बिधोंसवा का अंग / कबीर
- साध का अंग
- घूँघट के पट
दोस्तों इन सभी कृतियों में से kabir das जी की लिखी साखी, सबद, रमैनी कृतियों को काफी मुख्य माना जाता है,
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कबीर दास जी की मृत्यु
(about kabir das in hindi)
दोस्तों कहा जाता है, कि कबीर दास जी की मृत्यु काशी मैं स्थित मगहर स्थान पर 1518 ईस्वी में हुई थी, कबीर दास जी की मृत्यु के बाद इनके शव को लेकर काफी विवाद भी रहा था,
कहा जाता है, कि कबीर दास जी की मृत्यु के बाद हिंदू और मुस्लिम आपस में झगड़ा करने लगे थे,
हिंदू चाहते थे कि कबीर दास जी का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों के हिसाब से हो, साथ ही मुस्लिम लोग यह चाहते थे कि कबीर दास जी का अंतिम संस्कार मुस्लिम रीति-रिवाजों के हिसाब से हो,
इसी विवाद के चलते जब कबीर दास जी के शव से चादर हटी तो वहां पर बहुत सारा फूलों का ढेर पाया गया, जिनमें से आधे फूलों को मुस्लिम और आधे फूलों को हिंदुओं ने ले लिया और इसके बाद हिंदुओं ने उन फूलों को अपने रीति रिवाज के हिसाब से अंतिम संस्कार किया और मुस्लिमों ने भी उन फूलों का अपने रीति-रिवाजों के हिसाब से अंतिम संस्कार किया,
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कबीर दास जी के दोहे पर बने भजन कैसे सुने (kabir das poems in hindi)
दोस्तों कबीर दास जी के लिखे दोहे (kabir das ke dohe in hindi) इतने मनमोहक है, कि उनको सुनने के बाद हर किसी का मन शांत हो जाता है और वह भक्ति भाव में खो जाता है, कबीर दास जी के लिखे लगभग सभी दोहों के ऊपर बहुत सारे kabir bhajan बनाए गए हैं,
अगर आप इनके लिखे दोहों के भजन सुनना चाहते हैं, तो उसका सबसे अच्छा जरिया यूट्यूब है, youtube पर जाकर आप “kabir das ke dohe in hindi” लिखकर अगर सर्च करते हैं, तो यूट्यूब पर आपके सामने कबीर दास जी के दोहों पर बने भजन आपके सामने आ जाएंगे, जिन्हें सुनकर आप उनका आनंद प्राप्त कर सकते हैं।
नोट – कबीर दास जी से रिलेटेड आपके अगर कोई भी सवाल हो तो आप हमें कमेंट करके पूछ सकते हैं, साथ ही इस पोस्ट (Kavi kabir das ki jivani | संत कबीर दास) को अपने दोस्तों के साथ भी साझा जरूर करें, दोस्तों अगर आप इसी तरह की जानकारियां आगे भी प्राप्त करना चाहते हैं, तो हमारी वेबसाइट पर जरूर से सब्सक्राइब करके जाएं, धन्यवाद।
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